*आध्यात्मिक तत्वों को प्रकाशित कराने वाला अद्वितीय दीपक है श्रीमद्भागवत महापुराण-पं डॉ उमेशचन्द्र शर्मा*
थांदला(मनीष वाघेला)
श्रीमद्भागवत श्रीभगवान् के स्वरूप का ज्ञान कराने वाला एवं समस्त वैदों का सार है। यह भव रोग की उत्तम औषधि है। संसार में आसक्त जो लोग अज्ञान के घोर अन्धकार से पार जाना चाहते हैं उनके लिए आध्यात्मिक तत्वों को प्रकाशित कराने वाला यह अद्वितीय दीपक है। यह गोपनीय और रहस्यमय महापुराण है।किन्तु जब हम मनोयोग पूर्वक इसका श्रवण करते हैं, तो रहस्य उजागर होने लगते हैं,प्रभु नाम में हमारी निष्ठा द्रढ़ होने लगती है,और भगवान् के चरणारविन्द में प्रेम जागृत हो जाता है।उक्त कथन जिले के थांदला में श्रीमद्भागवत भक्ति पर्व के के अन्तर्गत आयोजित नौ दिवसीय श्रीमद्भागवत सप्ताह महोत्सव के अन्तिम दिन डॉ.उमेशचन्द्र शर्मा ने स्थानीय श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर सभागार में शनिवार को व्यासपीठ से व्यक्त किए।भागवत सप्ताह भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष सप्तमी से आरम्भ हुआ था और शनिवार पूर्णिमा तिथि को इसका समापन हुआ।श्रीमद्भागवत कथा विश्रांति के मौके पर शनिवार देर शाम विभिन्न धार्मिक संगठनों द्वारा भागवतजी की शोभायात्रा निकाली गई।देर रात तक यह महोत्सव चला एवं अन्त में भागवतजी को मंदिर में पधराया गया।शोभायात्रा में बड़ी संख्या में कथा श्रवण कर रहे लोगों सहित अन्य श्रद्धालुजनों ने भी भाग लिया।थान्दला में अन्य स्थानों पर भी श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया। नगर के श्री शांति आश्रम में विद्वान कथावाचक पंडित किशोर आचार्य एवं श्री बांके बिहारी मंदिर में बालमुकुंद आचार्य ने कथा वाचन किया।डॉ शर्मा ने भागवत कथा में उपस्थित श्रद्धालुओं को भगवान् के नाम ओर श्री मद्भागवत के महान् महत्व को प्रतिपादित करते हुए कहा कि कलिकाल में भगवान् श्री कृष्ण के पावन नाम का आश्रय ही सर्वोत्तम साधन है।प्रभु का पावन नाम संसार सागर से पार कराने वाली नौका है। नाम ही प्रभु प्रेम की प्राप्ति कराने वाला और हमारी सांसारिक मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाला भी है।नाम में निष्ठा भागवत श्रवण से ही सम्भव है, क्योंकि जब तक मनुष्य कथा श्रवण नहीं करें तब तक नाम में निष्ठा होना सम्भव नहीं है श्रीमद्भागवत में भगवान् श्रीकृष्ण की लीलाओं का अद्भुत रूप से गायन किया गया है।भगवान् की दिव्यतम लीलाओं का गान ओर प्रभु चरित्र का वर्णन हमें श्री कृष्ण कीर्तन और कृृष्ण नाम के महाआलोक में ले जाता है।भगवान् श्रीकृष्ण का नाम और श्रीमद्भागवत ऐसा चुंबक है, जो सहसा ही आराधकों को अपनी तरफ आकर्षित कर लेता है। यह ऐसा अमृत है जिसे कोई एक बार पान कर ले तो वह धन्य हो जाता है,और बार बार इसका पान करना चाहता है।












