चुनावी हलचल-आज नाम निर्देशन पत्र जमा करने का अंतिम दिन।दोनों ही पार्टी की सांसें फूल रही उम्मीदवार घोषित करने में।सबसे ज्यादा उम्मीदवार भाजपा से एक वार्ड से तीन से चार ताल ठोक रहे है।कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार हर वार्ड से अनुशासित रूप से एक ही नाम पर सहमति

चुनावी हलचल-
आज नाम निर्देशन पत्र जमा करने का अंतिम दिन।

दोनों ही पार्टी की सांसें फूल रही उम्मीदवार घोषित करने में।


सबसे ज्यादा उम्मीदवार भाजपा से एक वार्ड से तीन से चार ताल ठोक रहे है।

कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार हर वार्ड से अनुशासित रूप से एक ही नाम पर सहमति

मनीष वाघेला

थांदला  नगर परिषद के 27 को चुनाव है आज नाम निर्देशन पत्र जमा करने की अंतिम तारिख है। इस बार भाजपा के बैनर तले हर वो व्यक्ति चुनाव लड़ना चाहता है जिसमे नगर विकास का जज्बा है, सबका साथ मेरा विकास के तर्ज पर हर उम्मीदवार कुश्ती लड़ने के मूड में है चाहे परिणाम कुछ भी हो इसी कश्मकश में जिले सहित संभागीय नेताओ के हाथ पैर फूल रहे है इसीलिए भाजपा और कांग्रेस दोनो ने अभी तक प्रत्याशीयो के नामो की घोषणा नही की है। भाजपा मे दो दिन से मैराथन बेठक अलग अलग जगह पर चल रही है तो कांग्रेस मे विधायक कांतिलाल भूरिया के विधायक कार्यालय पर विचार मंथन चल रहा है। लेकिन इस बार भाजपा की सांसे ज्यादा फुली हुय नजर आ रही है क्योकि एक एक वार्ड मे चार से पांच प्रत्याशी ताल ठोक रहे है ऐसे मे पार्टी यह तय नही कर पा रही की वह किसे चुने। नगर का आलम यह है कि हर नेता अपने चेले को टिकीट दिलाना चाहते है लेकिन जनमत किसी और के साथ है ऐसे मे भाजपा के नेताओ की भी सांसे फुली हुई है यदि चेलों को टिकीट दिया ओर चेलों को जनता ने हरा दिया तो प्रदेश संगठन को क्या जवाब देगे क्योकि नगर के नेताओ में प्रतिस्पर्धा चल रही है कि मेरे कोटे से ज्यादा से ज्यादा चेलों को टिकिट मिले ऐसे में भाजपा द्वारा अयोग्य लोगो को टिकीट मिल जावेगे ओर चुनाव के बाद जो नतीजे आवेंगे पार्षद तो ठीक अध्यक्ष को भी नही चुन पावेंगे।
बहरहाल जो भी हो इस चुनाव में भाजपा के स्थानीय नेता अपने,अपने खेमे से अपने शागिर्द को चुनाव लड़ाने का भरसक प्रयास कर रहे है इसी वजह से सूची जारी होने में दिक्कत आ रही है इस बार चुनाव में हर पार्षद इस मुगालते में भी चुनाव लड़ रहा है जीत गये तो अध्यक्ष के चुनाव में मालामाल हो जावेगे वही चुनाव में ऐसे भी नामी गिरामी जो कि कल तक भाजपा के अच्छे पदों पर विराजित थे आज पत्नी, मा को चुनाव में उम्मीदवार बना कर पुनः अपनी उपस्थिति कायम रखना चाहते है।
खेर किसकी किश्मत के ताले खुले कोन सा ग्रुप टिकिट दिलाने में कामयाब रहे ये तो देर रात पता चल ही जावेगा पर एक बात नगरवासी को चुभ रही है कि नगर के इन जन नेता का हौसला तो देखो इनकी लिस्ट में टिकिट के वो दावेदार भी है जो पूर्व में चुनाव हार गये, कई मुनाफाखोर है तो कई आदतन सीर फिरे फिर भी इनकी पैरवी कर इन्हें टिकिट दिलवाने में इतनी दिलचस्पी क्यो?? 
खेर संघटन में शक्ति है आज की शक्ति में अगर साम,दाम, दंड, भेद ना हो तो राजनीति की परिभाषा भी अधूरी मानी जावेगी।