*बदनावर पहुँचकर प्रवर्तकश्री जिनेन्द्रमुनिजी म. सा. को परिजनों ने सौंपा दीक्षा का आज्ञा पत्र*
*थांदला।* उत्तराध्ययन में भगवान ने संयम का फल मोक्ष बताया है जो आत्मा संयम लेती है वह तीव्र संवेग रूपी मोक्ष की इच्छा रखती है व काम भोगों को छोड़कर निर्वेग को प्राप्त कर मोक्ष को पा लेती है। उक्त कथन प्रवर्तक श्री जिनेन्द्रमुनिजी ने मुमुक्षु ललित भाई भंसाली के सांसारिक बंधनों से मुक्त कर आत्म कल्याण का मार्ग प्रशस्त करने गरूदेव के श्रीचरणों में आज्ञा पत्र समर्पित करने आये भंसाली परिवार व अन्य श्रावक-श्राविकाओं से कहे। प्रवर्तक श्री ने ललित भाई के वैराग्य का जिक्र करते हुए उनकी स्वाध्याय रुचि व थोकड़ों के गणित का समझने की विशेष प्रतिभा का जिक्र किया। इस अवसर पर पूज्य श्री धर्मेन्द्रमुनिजी ने कछुआ-खरगोश की कहानी सुनाकर कहा कि जो आत्मा सो जाती है वह हार जाती है लेकिन जागने वाली आत्मा छोटी होने के बावजूद जीत जाती है। रविमुनिजी ने कहा कि मन वाला जीव ही दीक्षा ले सकता है पर यह विरोधाभास ही है कि उसे यहाँ मन का छोड़ना भी पड़ता है। पूज्य श्री ने कहा संयम में आणाए कंखा याने आज्ञा में धर्म बताया है ऐसे में सिद्ध पद नो सन्नी नो असन्नि का होता है उसकी यात्रा आज्ञा पालन से ही पूरी होती है। मधुर व्यख्यानी मधुबालाजी ने कहा कि जो गुरु की शरण में आकर उनकी आज्ञा का पालन करता है वही मोक्ष का अधिकारी होता है। सभी गुरुभगवंतों ने ललित भाई के साथ उनके संयम में सहायक बने भंसाली परिवार को धन्यवाद दिया। उल्लेखनीय है कि बहुरत्न वसुधा थांदला से जैनाचार्य श्री जवाहरलालजी एवं जन-जन की आस्था के केंद्र जिनशासन गौरव आचार्य श्री उमेशमुनिजी "अणु" सहित अब तक अनेक आत्माओं ने संयम लेकर जिनशासन को दिपाया है उसी कड़ी में मुमुक्षु ललित भाई के रूप में एक आत्मा और संयम लेने जा रही है।
*मुमुक्षु की दीक्षा का आज्ञा पत्र सौंपा*
नगर के प्रतिष्ठित धर्मनिष्ठ परिवार स्वर्गीय सुंदरलाल भंसाली के सुपुत्र मुमुक्षु ललित भाई की दीक्षा का आज्ञा पत्र सौंपने के लिए मुमुक्षु की माता श्रीमती तारा बहन भंसाली, बड़े भाई, थांदला श्रीसंघ के अध्यक्ष एवं श्री धर्मदास गण परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष भरत भंसाली, अनिल भंसाली, मुमुक्षु की धर्म सहायिका संध्या भंसाली, भाभी उषा व चंदा भंसाली, पुत्र प्रांजल भंसाली व ससुराल पक्ष सहित परिजन व श्री संघ के श्रावक श्राविकाएं एवं जैनेत्तर बंधु सहित बड़ी संख्या में 18 मार्च को बदनावर पहुंचें व जयकार यात्रा निकालते हुए विराजित आचार्य प्रवर पूज्य गुरुदेवश्री उमेशमुनिजी के सुशिष्य धर्मदास गणनायक प्रवर्तकश्री जिनेन्द्रमुनिजी, तत्वज्ञ श्री धर्मेंद्रमुनिजी आदि ठाणा 10 एवं साध्वी श्री मधुबालाजी ठाणा 6 के दर्शन, वंदन, मांगलिक, व्याख्यान आदि का लाभ लेते हुए धर्मसभा में आज्ञा पत्र सौंपा। कार्यक्रम की जानकारी देते हुए संघ प्रवक्ता पवन नाहर ने बताया कि धर्म सभा में दीक्षा आज्ञा पत्र का वाचन मुमुक्षु के पुत्र प्रांजल भंसाली ने किया। थांदला संघ सचिव प्रदीप गादिया ने थांदला की पृष्ठभूमि बताते हुए भंसाली परिवार का संक्षिप्त परिचय दिया। इसके बाद मुमुक्षु व उनकी धर्म सहायिका के उद्बोधन हुए वही भरत भंसाली व वर्षीतप पारणा महोत्सव के लाभार्थी प्रफुल्ल तलेरा ने गुरूदेव द्वारा घोषित आगामी अक्षय तृतीया (30 अप्रैल) थांदला पारणा उत्सव में व ललित भाई की दीक्षा में पधारने का सबसे अनुरोध किया। बदनावर संघ द्वारा मुमुक्षु के साथ परिजनों का बहुमान किया गया। इस दौरान पूरी धर्मसभा जयकारों से गूंज उठी। दीक्षार्थी की दीक्षा तिथि तय होने से थांदला श्रीसंघ ही नहीं अपितु धर्मदास गण एवं समूचे जैन समाज में हर्ष की लहर दौड़ गई है। भंसाली परिवार की बहन बेटियों व स्थानीय अणु समर्पित बहु मंडल ने मंगल गीत गाये। इस अवसर पर डूंगर मालवा मध्यप्रदेश के अलावा अन्य राज्यों से भी बड़ी संख्या में आये भक्तजन ललित भाई की आज्ञापत्र के साक्षी बने। सभी अतिथि मेहमानों के आतिथ्य सत्कार का लाभ गिरधारीलाल श्रीपाल नाहर परिवार व प्रभावना लाभ भंसाली परिवार थांदला एवं संघवी परिवार बदनावर ने लिया। संचालन श्रीसंघ के सचिव मनीष बोकड़िया ने किया।












