मेट्रो एजुकेशन एकेडमी विद्यालय थांदला में विद्यार्थियो द्वारा फागोत्सव मनाया

मेट्रो एजुकेशन एकेडमी विद्यालय थांदला में विद्यार्थियो द्वारा फागोत्सव मनाया



भक्त प्रह्लाद की भक्ति और परमात्मा के प्रेम की विजय उत्साह,उमंग के प्रतीक का पर्व- विभा जैन
मेट्रो एजुकेशन एकेडमी विद्यालय थांदला में विद्यार्थियो द्वारा फागोत्सव मनाया गया उत्सव में विद्यालय की शिक्षिका विभा जैन द्वारा होली के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि होली रंगों का त्यौहार है।यह त्यौहार बसंत ऋतु के आगमन का संदेश देता है।इसके आगमन पर सभी प्राणी तथा यहां तक कि प्रकृति भी आनंद तथा उमंग से इठला उठते हैं। इस पर्व को हर वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा को बड़ी धूमधाम और उल्लास के साथ मनाते हैं।होली के रंगों के पीछे एक ही संदेश होता है सद्भावका भाव।सामान्य रूप से तो होली रंगों का त्यौहार माना जाता है इस दिन एक दूसरे को रंग लगाकर आपसी द्वेष ,बेर,कलह सब भूल जाए ।पूरे उत्साह के साथ एक दूसरे से प्रेम बांटते हुवे जीवन में उमंगों के नए रंग भर लिए जाए।
इस त्यौहार को किसान बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं।इन दिनों किसानों के बड़े परिश्रम से उगाई गई फसल भी पकर तैयार हो जाती है। सभी किसान नए अनाज की बाली को होली की अग्नि में भुनकर उसके दानों को सब में बांटते हैं।तथा आपसी बैर भाव को भुलाकर एक दूसरे से गले मिलते हैं।
होली से संबंधित एक कथा बहुत प्रचलित है दैत्यराज हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद भगवान का परम भक्त था परन्तु पिता हिरण्यकश्यप नास्तिक प्रवृति का था। पिता ने पुत्र को भगवान का नाम लेने से कई बार मना किया परंतु प्रहलाद नहीं माना पिता ने पुत्र को कई कई प्रकार की यातनाएं दी। यहां यहां तक कि उसे जान से मरवा डालने की कोशिश भी की परंतु ईश्वर भक्त प्रह्लाद अपने पथ से विचलित नहीं हुआ। अंत में हिरण्यकश्यप ने उसे अपनी बहन होलिका की गोद में बिठाकर अग्नि में बिठा दिया।होलिका को वरदान था कि वह आग में नहीं जल सकती है परंतु परिणाम विपरीत हुआ।होलिका अग्नि में जलकर राख हो गई ।जबकि प्रहलाद का बाल भी बांका नहीं हो सका।इस लिए होली को अधर्म पर धर्म का विजय का प्रतीक माना जाता है।इस अवसर पर विद्यालय के संचालक और विद्यालय का सम्पूर्ण स्टॉफ उपस्थित रहा।