शताब्दी वर्ष और विजयादशमी उत्सव के निमित्त राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का काकनवानी में निकला भव्य पथ संचलन।
मंच पर उपस्थित मुख्य वक्ता रतलाम विभाग प्रचार संयोजक श्री सुरेंद्र जी ब्रामरा तथा उपखंड कार्यवाह चंद्रकांत जी वसुनिया विशेष अतिथि सामाजिक कार्यकर्ता उद्यमी श्री सुरेश जी नायक उपस्थित थे। संचलन के पूर्व मंदिर प्रांगण में मुख्य वक्ता श्री सुरेंद्र जी ब्रामरा ने स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा परम पूजनिय हेडगेवार जी ने देश व हिंदू समाज की अवस्था को जाना विश्व को मार्गदर्शन देने वाला समाज जिसमें यवनों हूणों को परास्त कर दिया था वह मुगलों और अंग्रेजों का गुलाम क्यों बना क्योंकि लंबे संघर्ष व गुलामी के कारण मूल समाज अपनी पहचान भूल गया अपने जीवन मूल्य दर्शन गौरवशाली वह विजयशाली इतिहास को भूलकर स्वाभिमान शून्य हो गया अंग्रेजों की मानसिक गुलामी से ग्रस्त जाति पंथ भाषा के आधार पर बाटा है संगठित नहीं है मुगल हारे अंग्रेज भी चले गए फिर कोई विदेशी शासक ना बैठे इसकी व्यवस्था लगे बिन स्वाधीनता अधूरी रहेगी उन्होंने विजयदशमी 1925 को नागपुर में मोहिते के बाडे में संघ का बीज बोया
श्री बामरा ने आगे बताया 1925 से 1947 का जो समय था उसमें आरंभ में संघ की अपेक्षा व उपहास उड़ाया गया। बच्चों को संगठित कर देश को आजाद कराएगा हेडगेवार ? आदी आदी बातें समाज में होने लगी लेकिन कठोर परिश्रम सतत प्रयास नवयुवकों की टोली देश के कोने-कोने में जाकर संघ की शाखाएं आरंभ की। 1940 तक देश के हर प्रा त में संघ पहुंच गया ।संघ याने शाखा शाखा यानी संघ
उसे वक्त के सभी स्वयंसेवक व्यक्तिगत स्तर पर स्वाधीनता आंदोलन में सम्मिलित होते रहे और कई आंदोलन में भाग लिया था।
पिछले समय को याद करते हुए श्री बामरा ने कहा की झाबुआ बहुत ही अपने आप को गौरांवित महसूस करता है क्योंकि यहां पर मामा बालेश्वर जैसे महापुरुष हुए । और विपरीत समय में भी संघ कार्य को गति देने का प्रयास भी किया। उन्होंने कहा समय आगे बढ़ा संघ की शक्ति बढ़ती देख नेहरूवादी चिंतित हुए संघ को कांग्रेस में विलय का दबाव बनाया जिसे श्री गुरु जी ने अस्वीकार किया इसी कारण संघ पर कई मिथ्या आरोप भी लगे गुरु जी को जेल करवा संघ पर प्रतिबंध गिरफ्तारी अत्याचार स्वयंसेवकों पर हमले लेकिन सत्याग्रह और कानूनी लड़ाई के बाद सारे आरोप झूठ सिद्ध हुए बिना ,शर्त ही प्रतिबंध भी समाप्त हुआ। उन्होंने बताया हिंदू संगठन और स्वाभिमान जागरण के परिणाम स्वरूप कई आंदोलन खड़े हुए जिसमें रामसेतु बचाओ आंदोलन स्वदेशी अभियान अमरनाथ साइन बोर्ड जम्मू कश्मीर धारा 370 का आंदोलन के विरोध का आंदोलन हिंदू समाज की संगठित शक्ति की विजय । उन्होंने हिंदू क्या है की परिभाषा देते हुए बताया हिंदू को किसी सभ्यता मत पंथ मंदिर मठ किसी खानपान व वेशभूषा रहन-सहन रीति रिवाज किसी देवी देवता तक सीमित नहीं किया जा सकता है पूर्वजों के तब अध्ययन अनुभव चिंतन से बनी संस्कृति के अनुरूप आचरण ही हिंदुत्व है यही जीवन दृष्टि है हिंदू एक राष्ट्रीय समुदाय है इसमें अनेक पथ है। और हिंदू की सोच सर्वे भवंतु सुखिन वसुदेव कुटुंबकम की रही है आगे श्री ब्रामरा ने सभी स्वयंसेवकों से आह्वान किया कि सभी के जीवन में पंच परिवर्तन संकल्प अति आवश्यक है जिससे राष्ट्र विश्व के लिए पथ प्रदर्शक बनेगा इसमें स्वदेशी का जागरण पर्यावरण पेड़ लगाना प्लास्टिक मुक्त भारत बनाना हरित गृह निर्माण करना ।समरसता घर में आने वाले सेवा प्रदाता जैसे कामवाली बाई आदि से सामान्य व सम्मान का व्यवहार करना जाति के आधार पर किसी से भी भेदभाव ना हो घर के मंगल प्रसंग में अपने साथ भोजन करना। नागरिक अनुशासन के विषय में बताया ट्रैफिक के नियमों का पालन करना नगर निगम आदि के करो और शुल्कों को समय पर भुगतान करना कुटुंब प्रबोधन सप्ताह में कम से कम एक बार सारा परिवार एक साथ बैठकर भजन भोजन व अपनी संस्कृति के विषय में चर्चा करना इन कामों में मोबाइल का उपयोग नहीं करना तथा सबको देव दर्शन के लिए साथ में जाना तथा बड़े बुजुर्गों तथा अतिथि का आदर सत्कार कर ना। बौद्धिक के पश्चात घोष की ध्वनि पर स्वयंसेवक शासन के साथ कदमताल करते हुए गांव के मुख्य मार्ग पर निकले जहां समाजजन तथा नारी शक्ति द्वारा पुष्प द्वारा स्वागत किया गया।












